IPO से दिसंबर तक 75,000 करोड़ जुटा सकती हैं 65 कंपनियां : पैसा इन्वेस्ट करने का यह सही समय
28,523 करोड़ रुपये जुटा चुकी हैं 31 कंपनियां जनवरी से अब तक
शेयर बाजार की तेजी के बीच इस साल दिसंबर तक 65 कंपनियां आईपीओ से 75,000 करोड़ रुपये तक जुटा सकती हैं। विश्लेषकों के मुताबिक, कई बड़ी कंपनियां इस साल बाजार में उतरने की तैयारी में हैं। सिर्फ पांच कंपनियां ही 40-45 हजार करोड़ रुपये तक जुटा सकती हैं।
बाजार के जानकारों के मुताश्चिक, अगले कुछ महीनों में 30 कंपनियां प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं। इसमें से 24 कंपनियां 30,000 करोड़ रुपये के लिए बाजार में उतर सकती हैं। इस साल में जनवरी से अब तक 31 कंपनियों ने 28,523 करोड़ रुपये आईपीओ के जरिये जुटाए हैं।
इस साल आने वाले प्रमुख आईपीओ
नौट: राशि करोड़ रुपये में
25,000
10,414
5,500
7,000
हुंडई,ओला, बजाज इलेक्ट्रिक ,फाइनेंस
2023 में 57 कंपनियों ने इश्यू से जुटाए थे कुल 49,437 करोड़ रुपये
फर्स्ट क्राई ने दोबारा जमा कराया मसौदा
विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव के बाद मोदी सरकार के लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के साथ घरेलू शेयर बाजार में निवेशकों का मजबूत विश्वास दिख रहा है। इससे आने वाले महीनों में आईपीओ की लहर और तेज हो जाएगी।
फर्स्ट फ्राई 1,816 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी के पास दोबारा मसौदा जमा कराया है। वारी एनर्जी के साथ वन मोबिक्विक 700 करोड़ के लिए मसौदा जमा करा चुकी है। ■अलाइड ब्लेंडर्स को 1,500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए पिछले माह व फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक को 625 करोड़ जुटाने की मंजूरी मिली है। डिपॉजिटरी कंपनी एनएसडीएल सेबी के पास मसौदा जमा करा चुकी है।
इन कंपनियों के आने हैं इश्यू
फस्र्स्ट क्राई, फिनकेयर स्मॉल बैंक, एनएसडीएल, अफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर, वारी एनर्जी, आशीर्वाद माइक्रोफाइनेंस समेत कई कंपनियों के आईपीओ कुछ महीनों में आने वाले हैं।
चालू वित्त वर्ष के दौरान आईपीओ बाजार में बड़ा, उछाल देखने ॐ को मिलेगा
■ मर्चेंट बैंकरों के अनुसार, स्टेनली लाइफ स्टाइल, वन मोबिक्विक, एमक्योर फार्मा, अलाइड ब्लेंडर्स, शिवा फामकिम और बंसल वायर इंडस्ट्रीज भी रकम जुटाने की तैयारी में हैं।
जो चुनाव के बाद निरंतरता व निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देने वाली अनुकूल स्थितियों से प्रेरित होगा। आईपीओ की तेजी विभिन्न क्षेत्रों की भागीदारी के साथ मजबूत गतिविधि का संकेत देती
■ रेखा झुनझुनवाला समर्थित बाजार स्टाइल रिटेल और हल्दीराम भी इश्यू ला सकती हैं।
अब तक के बड़े आईपीओ
कंपनी
आकार
साल
एलआईसी
21,000 करोड़
2022
पेटीएम
18,000 करोड़
2021
कोल इंडिया
15,000 करोड़
2010
जीआईसी
11,000 करोड़
2017
• रिलायंस पावर
11,563 करोड़
2008
30-35 कंपनियां मंजूरी के इंतजार में
इस साल जिन 65 कंपनियों के बाजार में उतरने की उम्मीद है, उनमें 25-30 को सेबी की मंजूरी मिल चुकी है। 30-35 कंपनियां अब भी मंजूरी के इंतजार में हैं। मसौदा जमा कराने के 2-4 महीने के बीच में सेबी की मंजूरी मिलती है।
खपत बढ़ाने के लिए कर दरें घटा सकती है सरकार
सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान की व्यक्तिगत करदाताओं में खपत बढ़ाकर हो सकती है भरपाई
सरकार जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट में कुछ श्रेणियों में व्यक्तिगत कर दरों में कटौती पर विचार कर रही है। इससे देश में खपत बढ़ाने बजट से उम्मीदें
कर कटौती से सरकार के खजाने को होने वाले नुकसान की आंशिक भरपाई इस श्रेणी के व्यक्तिगत करदाताओं में खपत बढ़ाकर की जा सकती है। चुनाव बाद सर्वेक्षण से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भले ही तीसरी बार सत्ता में वापसी की है,
लेकिन मतदाताओं में उच्च महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी और घटती आय को लेकर चिंता से भाजपा को बहुमत नहीं मिला। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 22 जुलाई को पूर्ण बजट पेश कर सकती हैं।
विकास दर बढ़ाने में खपत की बड़ी भूमिका
चुनाव बाद सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2023-24 के दौरान भारतीय जीडीपी 8.2 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ी। इस वृद्धि में खपत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कर दरों में कटौती से खपत बढ़ती है तो इससे जीडीपी को समर्थन मिलेगा।
मध्य वर्ग को बचत बढ़ाने में मिलेगी मदद
व्यक्तिगत कर में कटौती से अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा मिलने के साथ मध्य वर्ग की बचत में भी इजाफा हो सकता है। साथ ही, इससे सालाना 15 लाख रुपये कमाने वाले व्यक्तियों को कर में राहत मिलने की उम्मीद है। 15 लाख रुपये तक की सालाना आय पर अभी 5 से 20 फीसदी तक कर लगता है। 15 लाख से अधिक कमाई पर 30 फीसदी की दर से कर चुकाना पड़ता है।
छह गुना तक बढ़ जाती है कर की दर
किसी व्यक्ति की आय जब 3 लाख से पांच गुना बढ़कर 15 लाख रुपये होती है तो व्यक्तिगत कर की दर छह गुना बढ़ जाती है। इससे लोग परेशान हो जाते हैं। सरकार 10 लाख रुपये की वार्षिक आय के लिए भी व्यक्तिगत कर दरों को घटाने पर विचार कर सकती है। पुरानी कर प्रणाली में 30 फीसदी की उच्चतम दर पर आयकर के लिए एक नई सीमा पर चर्चा की जा रही है।
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