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Wild Life : जुगनू क्यों लुप्त हो रहे हैं ?

क्या आपको याद है, कुछ दिन पहले तक गरमी की रात में छोटी-छोटी उड़ती हुई रोशनियां दिखाई देती थीं। वे जुगनू होते थे, जिनके शरीर से रोशनियां निकलती थीं। अब जुगनू कम दिखाई देने लगे हैं।

आपने तितलियां तो देखी होंगी। मधुमक्खियों भी देखी होंगी। लेकिन क्या रात में छोटी- छोटी उड़ती हुई रोशनियां भी देखी हैं? ये जुगनू होते हैं। तु जुगनुओं के पेट में रोशनी उत्पन्न करने बाला एक अंग होता है, जिसकी वजह से वे रात में चमकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, जुगनुओं में विशेष कोशिकाएं होती हैं. जिनसे वह ऑक्सीजन ग्रहण करता है और उसे अपने शरीर में ल्यूसिफरिन नामक एक तत्व से मिला देता है। ऑक्सीजन और ल्यूसिफरिन के मिलते ही प्रतिक्रिया के रूप में एक रोशनी उत्पन्न होती है।

जीव वैज्ञानिकों के अनुसार, जुगनुओं की अधिकतर प्रजातियां तालाबों और नदियों के किनारे सड़ी लकड़ी तथा जंगल के कूड़े में लार्वा के रूप में पनपती हैं। बड़े होने के क्रम में वे वहीं रहते हैं, जहां पैदा हुए थे। हालांकि जुगनुओं की कुछ प्रजातियां ज्यादा जलीय होती हैं और कुछ ज्यादा शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती हैं, लेकिन ज्यादातर जुगनू खेत, जंगल और दलदल में पाए जाते हैं। गरम, नम और स्थिर पानी के पास का क्षेत्र उनका पसंदीदा वातावरण होता है। इनके अलावा तालाब और नदियां, यहां तक कि वे गड्ढे भी इनकी पसंदीदा जगह होती हैं, जो अधिक समय तक पानी एकत्रित रखते हैं।

तितलियों और मधुमक्खियों की तरह जुगनुओं की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है, जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। एक शोध से पता चला है कि उत्तरी अमेरिका की जुगनू प्रजातियों में से 11 फीसदी विलुप्त होने के कगार पर हैं और 2 फीसदी खतरे के करीब हैं। भारत में भी इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। हालांकि इसकी सही वजह तो पता नहीं है, लेकिन मुख्य रूप से इसके तीन कारण सामने आए हैं। पहला, पेड़-पौधों के कटने से जुगनुओं के आवासों का नुकसान पहुंचा है। दूसरा कारण जलीय वातावरण में जहरीले रसायनों का बना रहना है, जिसमें जुगनू अपना जीवन शुरू करते हैं और तीसरी वजह है प्रकाश प्रदूषण। जुगनू की तीन-चौथाई प्रजातियां रात्रिचर होती हैं। मादा और नर जुगनू, दोनों ही अपनी चमकती रोशनी का इस्तेमाल एक-दूसरे से संवाद करने और साथी खोजने के लिए करते हैं। शोध से पता चला है कि कृत्रिम रोशनी के फैलते जाल ने जुगनुओं के लिए संवाद करना कठिन बना दिया है। इसके अलावा कीटनाशकों से भी उनको नुकसान हो रहा है।

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