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Typhoid Vaccine : भारत के टाइफाइड टीके को डब्ल्यूएचओ से मिली मंजूरी

वैश्विक सूची में शामिल हुआ स्वदेशी टीका, अमेरिका सहित सभी देशों के लिए भारत में होगा उत्पादन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत के पहले टाइफाइड टीके जायवैक टीसीवी को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही जाइडस लाइफसाइंसेज लि. की यह वैक्सीन डब्ल्यूएचओ की वैश्विक सूची में शामिल हो गई है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एजेंसियां अब इसकी खरीद कर सकती हैं। अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के बाकी हिस्सों में भी यह टीका जल्द उपलब्ध होगा।

टीका निर्माता जाइडस लाइफसाइंसेज ने बुधवार को जारी बयान में बताया कि हाल ही में भारत सरकार ने इस टाइफाइड वीआई कंजुगेट टीके को मान्यता दी थी। इसके बाद कंपनी ने डब्ल्यूएचओ को आवेदन भेजा।

गुजरात के अहमदाबाद में विकसित यह टाइफाइड संयुग्मित टीका छह माह से लेकर 65 वर्ष तक के लोगों को साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से बचाने के लिए दिया जा सकता है। यह बैक्टीरिया ही टाइफॉइड की वजह बनता है। यूएन की एजेंसियां टाइफाइड के टीके की सालाना 15 करोड़ से अधिक खुराकें खरीदती हैं।

75 %टाइफाइड से मौत के मामले भारत मे 

भारत में टाइफाइड बुखार के मामले बढ़ रहे है ।साल 2021 में भारत में टाइफाइड के करीब एक करोड़ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। भारत में टाइफाइड का प्रसार पड़ोसी देशों को तुलना में ज्यादा है। आबादी के लिहाज से भारत में टाइफाइड को घटना दर सालाना प्रति एक लाख को आबादी पर 493.5 मामले है। अगर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों की बात करें तो टाइफाइड बुखार से होने वाली मौतों में 75 फीसदी हिस्सा भारत का होता है। गवा, द वैक्सीन एलायंस की साल 2022 में जारी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि टाइफाइड बुखार के कारण हर साल लगभग एक से 2.1 करोड़ मामले सामने आ रहे हैं और इनमें से 1.71 लाख लोगों को मौत हो रही हैं।

ली जा सकती है बूस्टर डोज

बाजार में टाइफाइड के कई टीके मौजूद हैं, लेकिन इनमें भारतीय टीका जायवैक टीसीवी ही ऐसा है, जिसकी तीन साल में एक बूस्टर खुराक भी ली जा सकती है। टाइफाइड बुखार दूषित पानी और भोजन के कारण होता है, जिसमें साल्मोनेला एंटरिका सेरोवर टाइफी (एस. टाइफी) नामक जीवाणु शरीर में पहुंचते हैं। यह आंतों को संक्रमित करता हेद। इसमें तेज बुखार, पेट दर्द और अन्य लक्षण दिखाई देते हैं। इसे एंटरिक बुखार भी कहा जाता है। स्वच्छता के अलावा सावधानीपूर्वक भोजन तैयार करना, हाथ धोना, उबलना, बोतलबंद या रासायनिक रूप से कीटाणुरहित पानी पीना, बिना पके भोजन से बचना जैसे रोकथाम के उपाय हैं। इस परेशानी में डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज करते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, अगर इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो यह गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है और जानलेवा भी हो सकता है।

गर्भावस्था में नहीं लेना चाहिए टीका

जायवैक टीमोवी टोके का अंतिम चरण भारत के अलग- अलग अस्पतालों में करीब 240 से ज्यादा प्रतिभागियों पर किया गया जिनमें सभी समूह में टीका ने पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित की हैं। हालांकि गर्भवती महिलाओं या फिर स्तनपान कराने वाली माताओं में इस टोका की सुरक्षा और प्रभावशीलता स्थापित नहीं की है। इसके अलावा छह माह से कम आयु वाले बच्चों या फिर 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों में भी सुरक्षा या फिर असर का पता नहीं चला है। ऐसे में इन लोगों के लिए टीका लेने की सलाह नहीं है।

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