Mission Moon : चालीस में चांद पर
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में इसरो के अगले पंद्रह साल के रोडमैप के बारे में जो जानकारियां दी हैं, उनसे महत्या या मिरानों की समय सीमाओं का तो पता चलता ही है, देश में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी के नए युग की शुरुआत की उम्मीद भी बंधती है।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में इसरो के अगले पंद्रह साल के रोडमैप के बारे में जो जानकारियां दी हैं, उनसे महत्वपूर्ण मिशनों की समय सीमाओं का तो पता चलता ही है, देश में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी के नए युग की शुरुआत की उम्मीद भी बंधती है। वर्ष 2026 में लॉन्च होने वाले गगनयान मिशन, जो देश का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान भी है, के कामयाच होने पर भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता है। चंद्रयान- 3 की अभूतपूर्व सफलता के बाद अब 2028 तक चंद्रयान-4 के लॉन्च होने की उम्मीद है। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ संयुक्त चंद्र मिशन ही चंद्रयान-5 मिशन होगा, जिसे 2028 के बाद लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।
इसके अतिरिक्त, पहले ही काफी विलंब से चल रहा भारत व अमेरिका का संयुक्त निसार मिशन 2025 में लॉन्च हो सकताहै। इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी करना है, जिससे जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों का पिघलना और प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी दी जा सके।
जाहिर है, यह मिशन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यही नहीं, 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री के चंद्रमा की सतह पर कदम रखने की भी योजना है, जो निस्संदेह देश के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम में एक मील का पत्थर होगा। दरअसल, पिछले कुछ दशकों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत जिस तेजी से उभरा है वह आत्मनिर्भरता व गौरव की अद्वितीय मिसाल है। चंद्रयान-3 की कामयाबी ने देश को चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले उन चुनिंदा देशों की सूची में ला दिया है, जो अंतरिक्ष में नित नए कीर्तिमान रचने का साहस रखते हैं।
इसरो प्रमुख का यह कहना वाकई उत्साहित करने वाला है कि अगले एक दशक में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान मौजूदा दो फीसदी से बढ़कर दस फीसदी तक हो सकता है। भारत का कामयाबीपूर्वक उपग्रह लॉन्च करने का रिकॉर्ड और इसरो का कम लागत पर महत्वपूर्ण मिशन संचालित करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे भरोसेमंद बनाता है। यही वजह है कि आज, खासकर विकासशील देश भारत की अंतरिक्ष समताओं का फायदा उठाने के लिए समझौते कर रहे हैं। निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित किए जाने से स्पेस स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण बना है। हालांकि सरकार के पूर्ण समर्थन के बावजूद विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा व निवेश की कमी जैसी चुनौतियों पर अभी काम किया जाना है। इसके बावजूद, अंतरिक्ष क्षेत्र में जिस तेजी से देश आगे बढ़ रहा है, उससे आने वाले समग में अंतरिक्ष अन्वेषण में उसकी नेतृत्वकारी भूमिका में आने की उम्मीदों को बल मिलता है।
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