आखिरकार 370 से पुरी आजादी
साविधानिक पीठ एकराय
ऐतिहासिक फैसला जम्मू – कश्मीर से अनुच्छेद – 370 ख़त्म करने के मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर
शीर्ष कोर्ट ने कहा, राज्य का दर्जा जल्द बहाल करें , 30 सितम्बर , 2024 तक हो चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को वैध करार दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा अनुछेद 370 अस्थाई प्रावधान था । जम्मू कश्मीर के भारत में विलेय और 25 नंबर 1949 को भारत के संविधान को अंगीकार करने के बाद जम्मू-काश्मीर राज्य मे सम्प्रभुता का कोई तत्त्व बरकरार नही रहा । हलाकि कोर्ट ने जम्मू-काश्मीर को जल्द राज्य का दर्जा देने और 30 सितंबर 2024 तक वहा चुनाव कराने के निर्देश भी दिये । चीफ जस्टीस डीवाय चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली सविधान पीठ ने सोमवार को सर्वसंमत फैसले मे अनुच्छेद – 370 ख़त्म करने की पुष्टि की । जस्टीस बी आर गवई व जस्टीस सूर्यकांत के साथ चीफ जस्टीस चंद्रचूर ने मुल फैसला लिखा । फेसले के अनुसार जम्मू-काश्मीर के पास ऐसी कोई आंतरिक संप्रभूता नही है जो अन्य राज्य की शक्तियां व विशेषाधिकारों से अलग हो, यह अनुच्छेद विषम संघवाद की विशेषता थी , ना की समप्रभुता की ।जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान को संपूर्ण लागू करने के बाद राज्य का संविधान निष्क्रिय व निरर्थक हो गया । सावधानिक शासन के लिए भारत का संविधान पूर्ण संहिता हैै जस्टिस किसन कॉल व जस्टीस संजीव खन्ना ने फेसले अलग से लिखे, पर दोनो मुल फेसले से सहमत थे सुप्रीम कोर्ट अनुछेद 370 रद्द करने के केंद्र के फैसले को चुनोती देने वाली याचिका पर फैसला सुना रहा था । इन याचिकाऊ में 5 अगस्त 2019 के संविधानिक आदेश 272 की वैधता को चुनौती दी गयी थी ।
फैसले की एहम बाते : आखिरकार 370 से पुरी आजादी
राष्ट्रपति का आदेश वैध
अनुच्छेद 370 ( 3) के तहत राष्ट्रपती अनुच्छेद 370 का अस्तित्व खतम करणे की एकतरफा अधिसूचना जारी कर सकते है । इसके लिए उन्हे राज्य सरकार या उसकी तरफ से काम कर रही केंद्र सरकार की सहमति की जरूरत नही थी। भारत के संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू करने का राट्रपति का आदेश वैध है ।
शक्ति का प्रयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं
राष्ट्रपती का अनुछेद 370 (1) (डी) के तहेत संविधानिक आदेश 272 ( जम्मू-काश्मीर में भारत का संविधान लागू करने पर ) जारी करने की शक्ति का प्रयोग दुर्भाग्यपूर्ण नही है।
लद्दाख को केन्द्रशासित प्रदेश बनाना भी वैध :
पीठ के मूल फेसले मे कहा सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने को छोडकर शेष जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जायेगा । ऐसे मै हमे यह तई करना जरुरी नही लगता की क्या राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशो लद्दाख और जम्मू कश्मीर में पुनर्गठन सविधान के तहद स्वीकार्य है । हालांकि की हम अनुछेद 3 (ए) के स्पष्टीकरण -1 के तहत लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की वैधता को बरकरार रखते हैै जो केंद्र सरकार को किसी भी राज्य से एक क्षेत्र को अलग कर केंद्रशासित बनाने की अनुमती देता है ।
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