La Nina Effect : इतिहास की सबसे तगडी सर्दी के लिए हो जाइए तैयार, कई लोगों की हो सकती है मौत, ये है वजह
इस बार भारत समेत कई अन्य पड़ोसी देश कड़ाके की सर्दी झेलने वाले हैं। ऐसी सर्दी जो इतिहास में पहले कभी नहीं पड़ी होगी जीस वजह से कई लोगों की मौत हो सकती है और पूरा उत्तर भारत इसकी चपेट में आ सकता है।
2024 की सर्दियां इतिहास की सबसे खतरनाक सर्दियों में एक हो सकती है कई तरह के सवाल हैं और उसका एक जवाब है ला नीना इफेक्ट
ला नीना इफ़ेक्ट क्या है
ला नीना (La Niña) एक जलवायु पैटर्न है जो प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट के कारण बनता है। यह प्रभाव एल नीनो-साउदर्न ओस्सिलेशन (ENSO) का हिस्सा है और एल नीनो के विपरीत है, जिसमें समुद्र का तापमान बढ़ जाता है।
मुख्य विशेषताएँ:
समुद्र की सतह का तापमान गिरना:
मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर के भूमध्य रेखीय क्षेत्र में सामान्य से ठंडे पानी की स्थिति बनती है।
प्राकृतिक चक्रीय घटना:
यह हर 2-7 वर्षों में एक बार होता है और 9-12 महीने तक या कभी-कभी उससे अधिक समय तक चलता है।
वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन:
पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में निम्न दबाव और पूर्वी प्रशांत में उच्च दबाव बनता है।
प्रभावित मौसम पैटर्न:
दक्षिण एशिया, भारत: सामान्य से अधिक ठंडी सर्दियाँ और सूखे का खतरा।
ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया: भारी बारिश और बाढ़।
अमेरिका: दक्षिण-पश्चिम अमेरिका में सूखा और उत्तर-पश्चिम में अधिक ठंड।
हवा की दिशा में परिवर्तन:
व्यापारिक हवाएँ (Trade Winds) मजबूत हो जाती हैं, जिससे ठंडा पानी सतह पर आ जाता है।
वैश्विक प्रभाव:
कृषि:
सूखे और बाढ़ से कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
भारत में मानसून कमजोर हो सकता है, जिससे फसल उत्पादन घट सकता है।
मत्स्य उद्योग:
ठंडे पानी में पोषक तत्वों की वृद्धि होती है, जिससे मछलियों की संख्या बढ़ती है।
मौसम की चरम घटनाएँ:
चक्रवात और तूफानों की तीव्रता बढ़ सकती है।
प्राकृतिक आपदाएँ:
बाढ़, भूस्खलन और सूखे की घटनाओं में वृद्धि।
ला नीना इफ़ेक्ट की चपेट में आने वाले देश
ला नीना इफेक्ट की चपेट में आने वाले देशों सूची कुछ इस प्रकार है
पाकिस्तान
श्रीलंका
बांग्लादेश
अफगानिस्तान
म्यांमार