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A Business Men Real Story: पहले बिजनेस में हुए असफल, सपनों के लिए बेचा घर, आभूषण की दुनिया में बिखेरी अपनी चमक

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A Business Men Real Story: पहले बिजनेस में हुए असफल, सपनों के लिए बेचा घर, आभूषण की दुनिया में बिखेरी अपनी चमक

पाब्लो पिकासो के प्रसिद्ध कथन कार्रवाई ही सफलता की मूलभूत कुंजी है को वास्तव में ‘मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स’ के  संस्थापक एमपी अहमद ने हकीकत में साबित करके दिखाया है। एमपी अहमद ने दो दशक के भीतर कामों को इतने अलग तरीके से किया कि उन्होंने 27 हजार करोड़ रुपये का आभूषण व्यवसाय खड़ा कर लिया। एक समय था जब अहमद बीस साल की उम्र में मसाले बेचा करते थे। हालांकि, उनका यह बिजनेस ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। बेशक उनके जीवन में कितनी ही चुनौतियां आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और डटकर उनका सामना किया। बिजनेस में असफल होने के बावजूद अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने एक नई इबारत लिखी और अपनी कंपनी मालाबार गोल्ड और डायमंड को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाया।

कभी बेचते थे मसाले

एमपी अहमद का जन्म एक नवंबर, 1957 को हुआ था। बीस साल की उम्र में उन्होंने मसाला व्यापार का व्यवसाय स्थापित करके अपने कॅरिअर की शुरुआत की। 1981 में उनके पिता का निधन हो गया। उस समय वह चैबीस वर्ष के ही थे। पिता की मौत के कुछ समय बाद वह केरल चले गए। वहीं से उन्होंने खुदरा विक्रेताओं को इलायची, काली मिर्च और नारियल बेचने का व्यापार शुरु किया। लेकिन इसमें उन्हें उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली और यह, बिजनेस ठप हो गया। हालंकि, इससे उन्होंने व्यापार के वो सबक सीखे, जिन्हें बड़े-बड़े संस्थानों से भी नहीं, सीखा जा सकता। इसके बाद उन्होंने शोध करना शुरू किया और बाजार की मांग को समझा। उन्होंने पाया कि अधिकतर लोग सोने में निवेश करने के इच्छुक हैं और आभूषण व्यवसाय उनके सपने को हासिल करने का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके बाद उन्होंने अपने कदम आभूषणों की दुनिया की और मोड़ दिए।

विदेश तक बनाई पहचान

भारत में मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स का बिजनेस सफल होने के बाद साल. 2001 में एमपी अहमद ने देश के बाहर कदम रखा और खाड़ी क्षेत्र में पहला स्टोर खोला। इसके बाद कंपनी ने अधिक से अधिक से स्टोर खोलने शुरू किए। साल 2011 में मालाबार ने रियाद में अपना 50वां स्टोर खोला। तब तक कंपनी का टर्नओवर 12 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका था। 2013 तक आते-आते कंपनी ने सात देशों में कुल 103 आउटलेट खोल दिए। इसके अलावा भारत और यूएई में फैक्ट्री भी स्थापित हो गई। 2017 में कंपनी ने दुबई में अपना 200वां स्टोर खोला, जबकि 12 जनवरी, 2018 को कंपनी ने एक साथ छह देशों में 11 स्टोर खोले। अगले साल यानी 2019 में कंपनी ने अमेरिका के शिकागो में अपना स्टोर खोला। वर्तमान में कंपनी का कुल टर्नओवर 27,000 करोड़ रुपये पहुंच चुका है।

युवाओं को सीख

■ याद रखिए, जिस भी लक्ष्य को आप लगातार अपने दिमाग में रखते हैं, उसे आप पाते जरूर हैं।

■ कामयाबी का इंतजार करने से बेहतर है, उसे पाने की कोशिश की जाए।

■ शिक्षा के अलावा भी कुछ नया सीखते रहना चाहिए, जिससे आप बाकियों से बेहतर बन सकें।

■ उम्मीद को हमेशा बनाए रखें, क्योंकि इसकी बदौलत ही सब कुछ पाया जा सकता है।

■ वह इन्सान कभी भी सफल नहीं हो सकता, जो रास्ते पर नहीं, बल्कि रास्ते में आने वाली दिक्कतों के बारे में ज्यादा सोचता है।

प्रॉपर्टी भी बेचनी पड़ी

एमपी अहमद ने अपने रिश्तेदारों के साथ आभूषण व्यवसाय शुरू करने का विचार किया। लेकिन सबसे बड़ी समस्या वित्त की थी। आखिरकार उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी बेचने का फैसला किया। इससे मिले पचास लाख रुपये उन्होंने व्यापार में निवेश किए। उन्होंने मालाबार की पहली शाखा वर्ष 1993 में स्थापित की, जो 400 वर्ग फुट की एक छोटे से स्टोर में खुली थी। कंपनी की डिजाइन और आभूषणों की विविधताओं ने ग्राहकों को आकर्षित किया और रोजाना बिक्री बढ़ने लगी। फिर अहमद ने पुरानी दुकान बंद की और वर्ष 1995 में 4000 वर्ग फुट की नई दुकान शुरू की। साल 1999 में उन्होंने अपनी ज्वेलरी को बीआईएस हॉलमार्क ज्वेलरी बताकर बाजार में पेश किया। बीआईएस हॉलमार्क भारत में बेचे जाने वाले आभूषणों के लिए एक हॉलमार्किंग प्रणाली है। इससे कंपनी के आभूषणों का प्रचार दूर-दराज के क्षेत्रों में होने लगा और अहमद के लिए सफलता के द्वार खुलने लगे।

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