Almora Bus Accident : कूपी बैंड की खाई में गिरकर टूट गया संग जीने का सपना
सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रवीण सिंह पुत्र भूपाल सिंह और उनकी पत्नी सोनी को नहीं पता था कि जिस बस में वे सफर कर रहे हैं यह उनके जीवन का अंतिम सफर होगा। दोनों ने साथ-साथ जीने के जो सपने संजोए थे वे मरचूला के नजदीक कूपी बैंड के पास गहरी खाई में गिरकर गधेरे में बिखर गए।
कोविडकाल में प्रवीण और सोनी की शादी हुई थी। दोनों की जिंदगी हंसी-खुशी चल रही थी। प्रवीण सिंह के दोस्त हिमांशु ने बताया कि सोनी और प्रवीण दिवाली अपने मूलगांव दिगोली आए थे। दिवाली के बाद मनाने अपने सामनगर जा रही बस से देहरादून लौट रहे थे। दोनों को सोमवार सुबह ग्रामीणों ने आशीर्वाद देकर हंसी-खुशी विदा किया था लेकिन उन्हें नाहीं पता था कि मौत दोनों का कृपी बैंड के पास इंतजार कर रही है। कृपी मौत के पास बस की कमानी का पट्टा तेज आवाज के साथ टूटने के साथ ही बस अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। इस हादसे में सोनी और प्रवीण समेत 36 यात्रियों की जान गई है।
हिमांशु ने बताया कि प्रवीण सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और उनको पली सोनी ने फार्मासिस्ट का कोर्स किया था। कुछ समय पहले ही वे दिल्ली शिफ्ट हुए थे और किसी काम में देहरादूने जा रहे थे। उसके बाद उन्हें दिल्ली जाना था। हिमांशु को अपने दोस्त और उनकी पत्नी की मौत का गहरा सदमा लगा है।
पिता ने डगमगाते कदमों से उठाया बेटे का शव
बराथ गांव के निकट स्थित कैनाथ निवासी भजन सिंह के बेटे प्रवीण कुमार और पुत्रवधु मीनाक्षी भी इसी बस में सवार थे। दोनों की हादसे में मौत हो गई। बेटा-बहू की मौत की खबर आते ही कैनाथ गांव में शोक छा गया। देर शाम बुजुर्ग भजन सिंह अन्य ग्रामीणों के साथ बच्चों का शव लेने पहुंचे। बुजुर्ग चुप थे लेकिन उनकी आंखों से बहते आंसू उनकी असहनीय पीड़ा की गवाही दे रहे थे। यह मंजर देख वहां मौजूद लोगों ने खुद को संभालते हुए किसी तरह उन्हें सांत्वना देने की असफल कोशिश करते दिखे। दुख का पहाड़ टूटने से आहत भजन दिन पहले ही हंसी-खुशी दिवाली मनाई थी। बुढ़ापे में बेटा-बहू ही सहारा थे जब वे दोनों ही दुनिया में नहीं रहे तो… फिर उनका गला रूरूंध गया और उनकी आंखों से फिर से आंसू बहने लगे। कहने लगे बेटे-बहू की मौत का इतना भारी बोझ कैसे उठाऊंगा।
पिता की नजरों के सामने, बेटा-बेटी,ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा
बाप के कंधे पर बेटे और बेटी का जनाजा, इससे बड़ा दुख दुनिया में नहीं है। धुमाकोट तहसील के ग्राम अद्योढ़ा निवासी मोहन सिंह ऐसे ही अभागे पिता है. जिन्होंने अपने सामने बेटा-बेटी को दम तोड़ते देखा। बेबस मोहन की आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे क्योंकि बस हादसे में वह खुद भी घायल थे और बुरी तरह वाहन की चेसिस सतीग्रस्त होने की वजह से फेस थे। दोनों बच्चों आदित्य और बेटी रश्मि की एक साथ देखकर पिता के मुंह से यही निकला हे भगवान किस गुनाह की सजा दे दी। बच्चों के बगैर काशीपुर छोड़ने जा रहे थे। दोनों बच्चे वही पढ़ते थे ।और दीपावली पर घर आए थे। मौके पर पहुंचे अधिकारों घायल मोहन सिंह को दिलासा दिलाते रहे लेकिन खुद की आंखों से बहते हुए आंसू और चोखने चिल्लाने की आवाज रुक नहीं रही थीं।
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