Gold and Silver new update : चांदी एक लाख के पार, सोने भी नई ऊंचाई पर
त्योहारी व मजबूत औद्योगिक मांग का असर… चांदी 1,500 रुपये महंगी,सोना 350 रूपये चमका
त्योहारी सीजन में मजबूत औद्योगिक मांग से मंगलवार को चांदी 1,500 रुपये महंगी होकर 1.01 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। सोना भी 350 रुपये महंगा होकर 81,000 की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। सोमवार को चांदी 5,000 रुपये के बड़े उछाल के साथ 99,500 रुपये प्रति किलोग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुई थी। हिंदुस्तान जिंक लि. के सीईओ एवं पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा ने कहा, चांदी में जारी तेजी का मुख्य कारण औद्योगिक मांग है। सराफा कारोबारियों ने कहा, त्योहारी और शादी-विवाह के मौसम में बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं ने खरीदारी बढ़ाई है। इससे सोने की चमक बढ़ रही है।
दिवाली से पहले 1.10 लाख पहुंचेगी चांदी
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष जतिन त्रिवेदी ने कहा, लगातार तेजी से संकेत मिल रहा है कि दिवाली से पहले चांदी 1.10 लाख रुपये तक पहुंच सकती हैं।
एशियाई कारोबारी घंटों में कॉमेक्स सोना 0.30 फीसदी की बढ़त के साथ रिकॉर्ड 2,747.10 डॉलर प्रति औंस रहा। चांदी एक फीसदी उछाल के साथ 34.41 डॉलर प्रति औंस रही।
■ लगातार पांच सत्रों से बढ़त जारी : सोने और चांदी की कीमतों में लगातार पांचवें कारोबारी सत्र बढ़त जारी रही। इस दौरान चांदी में 8,500 रुपये की तेजी दर्ज की गई, जबकि सोना 2,350 रुपये चढ़ गया।
एक देश-एक स्वर्ण दर लागू करने की तैयारी
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने मंगलवार को कहा, वह ‘एक देश-एक स्वर्ण दर’ को लागू करने के लिए काम कर रही है। इसका मकसद घरेलू बाजार में सोने की कीमतों को एकसमान करना है। जीजेसी के सचिव मितेश धोरडा ने कहा, हम एक ही दर पर सोना आयात करते हैं, लेकिन घरेलू खुदरा कीमतें एक शहर से दूसरे शहर में अलग होती हैं। हम चाहते हैं कि पूरे देश में एक ही दर लागू हो।
चालू वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी तह रहेगी जीडीपी की रफ्तार
डेलॉय का दावा…सरकारी खर्च व विनिर्माण क्षेत्र में उच्च निवेश से मिलेगा समर्थन, बढ़ेगा रोजगार
मजबूत सरकारी खर्च और विनिर्माण क्षेत्र में उच्च निवेश के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 7-7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है। हालांकि, वैश्विक वृद्धि में नरमी से 2025-26 में जीडीपी के बढ़ने की गति 6.5 से 6.8 फीसदी के बीच रह सकती है। डेलॉय ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा, संपन्न विनिर्माण क्षेत्र, कच्चे तेल की स्थिर कीमतें और चुनाव के बाद संभावित अमेरिकी मौद्रिक सहजता से भारत में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा मिल सकता है। उत्पादन लागत कम हो सकती है। दीर्घकालिक निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू आय को स्थिर बनाए रखने के लिए अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन महत्वपूर्ण है। पीएलआई जैसी योजनाओं से रोजगार सृजन में विनिर्माण व सेवा क्षेत्र का हिस्सा बढ़ा है।
घटकर 7 फीसदी रह सकती है आर्थिक वृद्धि दर : आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को कहा, भारतीय जीडीपी की वृद्धि दर के 2023 के 8.2 से घटकर 2024 में 7 फीसदी रह सकती है। 2025 में यह और घटकर 6.5 फीसदी रह सकती है।
■ आईएमएफ ने कहा, कोविड महामारी की वजह से बनी दबी मांग खत्म हो गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता के साथ फिर से आकार ले रही है।
■ आईएमएफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में कहा, महंगाई के खिलाफ लड़ाई जीत ली गई है। हालांकि, कुछ देशों में कीमतों का दबाव बना हुआ है। वैश्विक वृद्धि 2024 और 2025 में 3.2 फीसदी पर स्थिर रहेगी।
■ घरेलू कारक भी वृद्धि दर में होंगे सहायक : डेलॉय इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, सरकारी खर्च व विनिर्माण क्षेत्र में निवेश के साथ महंगाई में नरमी और खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी, बेहतर बारिश व रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन जैसे घरेलू कारक इस वर्ष वृद्धि में सहायक रहेगी।
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