ISRO PSLV-C60 Launch : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने अंतरिक्ष की दुनिया में फिर से एक बार इतिहास रच डाला सोमवार रात 10:00 बजे इसरो ने श्री हरिकोटा से PSLV रॉकेट के माध्यम से स्पीडेक्स मिशन का सफलता पूर्वक लॉन्चिंग किया ये मिशन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मेल का पत्र साबित होने वाला है। सारे रिपोर्ट्स के मुताबिक स्पीडेक्स मिशन की सफलता भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और चंद्रयान 4 मिशन की सफलता के लिए बहुत ही जरूरी होगी इसलिए इस लॉन्च को बेहद अहम माना जा रहा है, स्पीडेक्स मिशन में 2 सैटेलाइट शामिल है। एक चेसर और दूसरा टारगेट, चेसर सैटेलाइट टारगेट सैटेलाइट को पड़कर डॉकिंग करेगी इसके अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण परीक्षण भी किया जाएगा मिशन में एक रोबोटिक आम भी है, जो हुक के माध्यम से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा इसरो के लिए ये परीक्षण ये टेक्नोलॉजी विकसित करने में मदद करेगा जो ओबिट छोड़ने के बाद अलग दिशा में जा रहे सैटेलाइट को फिर से इस कक्षा में लाने के लिए सक्षम होगी।
ऑर्बिट में सर्विसिंग और रिफ्यूलिंग की संभावना भी बढ़ सकती है ?
ISRO ने इस दौरान बताया कि स्पीडेक्स मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाने की योजना है। इस मिशन की सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो की ओर से कहा गया कि ये तकनीक बेहद महत्वपूर्ण होती है। जब एक मिशन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की आवश्यकता होती है। अगर ये मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बनेगा जो इस तकनीक को हासिल करेगा अब तक ये तकनीक केवल चीन, रूस और अमेरिका के पास ही थी।
अंतरिक्ष में सबसे पहले डॉकिंग किसने की थी ?
अंतरिक्ष में सबसे पहले अमेरिका ने 16 मार्च 1966 में डॉकिंग की थी, इसके बाद सोवियत संघ ने पहले बार 30 अक्टूबर 1967 को दो स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में डॉग किए थे। और आखिर में चीन ने पहले बार स्पेस डॉकिंग 2 नवंबर, 2011 को की थी। ऐसे में इसरो ने स्पीडेक्स मिशन के तहत 229 टन वजन के पीएसएलवी रॉकेट से दो छोटे उपग्रह को प्रक्षेपित किया है। ये उपग्रह 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर डॉकिंग और अंडोकिंग की प्रक्रिया को पूरा करेंगे डॉकिंग और अंडोकिंग भारत के चंद्रयान 4 मिशन में काम आएगी जो चांद से सैंपल रिटर्न मिशन है। फिर वहां भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनेगा तब धरती से कई माड्यूल को ले जाकर अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा और 2040 में भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजो जाएगा वापस लाया जाएगा तब भी डॉकिंग और अंडोकिं एक्सपेरिमेंट की जरूरत पड़ेगी तब भी यह डॉकिंग और अंडोकिं बहुत ही पेचीदा काम होता है।
इस मिशन में भी मिलेगी चंद्रयान-4 को भी मदद ?
ISRO PSLV-C60 Launch : इस मिशन में चंद्रयान-4 को भी मदद मिलेगी क्योंकि चंद्रयान-4 में डॉकिंग एक अहम तकनीक है, क्योंकि डॉकिंग का मतलब होता है। दो अलग-अलग हिस्सों को एक दूसरे के पास लाकर जोड़ना अंतरिक्ष में दो यह अलग-अलग चीजों को जोड़ने की तकनीक भारत को स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करेगा स्पीडेक्स मिशन में एक ही सैटेलाइट को दो हिस्सों में एक ही रॉकेट में रखा गया है, और इन्हें अंतरिक्ष में अलग-अलग स्थानों पर छोड़ा जाएगा इस दौरान इसरो के चीफ ने दी बहुत सारी जानकारियां है।
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