मां की कोख में 39 सप्ताह तक रहने वाले बच्चे के अंदर होते है ये चमत्कारी गुण
मां की कोख में 39 सप्ताह रहने वाला बच्चा होता है बुद्धिमान-
एम्स ने तैयार की गाइडलाइन, निर्धारित अवधि के बाद ही डिलीवरी करवाने का होता है प्रयास, अंतिम सप्ताह में होता है मस्तिष्क, फेफड़े,यकृत व अन्य अंग विकसित-
माँ की कोख में 39 सप्ताह गुजारने वाले बच्चे बुद्धिमान व शारीरिक रूप में मजबूत होते हैं। इन बच्चों का मस्तिष्क फेफड़ा यकृत और अन्य महत्वपूर्ण उचित अवस्था तक विकसित हो जाते हैं। इसे देखते हुए एम्स दिल्ली ने आपातकालीन स्थिति को छोड़कर अन्य सभी डिलीवरी को 39वें सप्ताह में ही करवाने का फैसला लिया है।इससे न केवल नवजात को फायदा होगा बल्कि माँ भी सुरक्षित रहेगी। विशेषज्ञो का कहना है कि गर्भावस्था 35 वे से 40वें सप्ताह में मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है। गर्भावस्था के 35वें सप्ताह में एक शिशु के मस्तिष्क का वजन 39 से 40 सप्ताह के वजन का केवल दो तिहाई होता है। अंतिम सप्ताह में ही बच्चों के फेफड़े का विकास तेजी से होता है। जो उन्हें बेहतर ढंग से सांस लेने के लिए उपयुक्त बनता है। 39 से 40 वें सप्ताह में जन्म लेने वाले सांस लेने देखने और सुनने सहित और अन्य तरह की समस्याएं होने की संभावनाएं काफी कम होती है। गर्भ में उसका वजन पर्याप्त रूप से बढ़ सकता है।ऐसे में समय से पहले बच्चे का जन्म करवाना गलत है।
covid के बाद बड़े प्री मेच्योर डिलीवरी के मामले –
कोरोना महामारी के बाद दिल्ली के अस्पतालों में प्री मेच्योर डिलीवरी के मामले बड़े थे। डॉक्टरों का कहना है कि समय बिताने के साथ कोशिश की जा रही है कि ऐसे मामले कम ही आए। प्री मेच्योर डिलीवरी में पैदा होने वाले बच्चों में सांस लेने मैं तकलीफ मानसिक परेशानी व अन्य बीमारियां हो सकती है।
2022 मे हुआ 3 लाख बच्चों का जन्म-
दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय मुख्य रजिस्टार का कार्यालय( जन्म एवं मृत्यु) के मुताबिक साल 2022 में 300350 बच्चों का जन्म हुआ। इसमें 155670 बच्चे लड़के और 144581 बच्चे लड़कियां रही।2022 में कुल बच्चों में 51.58 % बच्चे लड़के व 48.14% लड़कियां रही। उसे साल दिल्ली में लिंगानुपात प्रति हजार पर 929 रहा।
40 सप्ताह में जन्म होना बेहतर-
सफदरजंग अस्पताल में स्त्री एवं प्रस्तुति रोग विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ बिंदु बाजाज ने कहा कि 40 सप्ताह में बच्चे का जन्म होना सबसे बेहतर है।बच्चा जितना ज्यादा समय गर्भ में गुजरता है वह उसके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अच्छा है। अंतिम सप्ताह में दिमाग फेफड़ा समेत दूसरे अंगों के लिए विकास होता है। हमारी कोशिश होती है कि गर्भवती की डिलीवरी को 40 सप्ताह में करवाए लेकिन कुछ मामलों में पहले भी डिलीवरी करवानी पड़ती है।
* गर्भवती पर नजर रखती है डॉक्टर-
नई दिल्ली में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ नीरजा भाटला ने कहा कि एम्स में प्रोटोकॉल बनाया गया है कि आपातकालीन स्थिति को छोड़कर गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी 39 सप्ताह के बाद ही कराया जाए। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं पर पूरे समय नजर रखती है।बीपी और अन्य समस्याओं को कंट्रोल किया जाता है।साथ ही कोशिश रहती है कि गर्भकाल का समय लंबा जाए। इससे जच्चा और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को फायदा होता है।
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