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Fighter Movie Review : आपको देखनी चाहिए या नहींं

Fighter Movie Review : आपको देखनी चाहिए या नहींं

आसमानी मोहब्बत की बारबार रुलाने वाली कहानी

फ़िल्म फाइटर शुरू में ही बता देती है की यह भारतीय वायुसेना के सहयोग से बनी फ़िल्म है। फ़िल्म के निर्माताओं में से एक रमन छिब खुद भी वायुसेना में रह चुके है । पटकथा भी उन्होंने ही लिखी है जम्मू हैदराबाद और लखनऊ में घूमती फिल्म के कहानी शमशेर पठानिया की है। कॉलिंग नाम उसका फौजी की पैटी है। और घर पर सम्मी दिल उसका टूटा हुआ है और इसकी वजह से उसके सीओ जीस बात को मानता है उस कारण वह उससे खफा भी है नई एक्शन टीम बन रही है

मीनल राठौर उसका हिस्सा बनती है पेटी को देखते ही वह उस पर फिदा तो नहीं होती लेकिन उसके रुआब में रुचि खूब लेती है दोनों के बीच रिश्ता बनता सा दिखता है लेकिन तभी कुछ होता है की पेटी को वापस एयरफोर्स अकैडमी भेजा जाता है सिद्धार्थ आनंद के बतौर निर्देशक यह आठवीं फिल्म है विजुअल इफेक्टस और कंप्यूटर ग्राफिक्स इमेजिंग के मास्टर हो चुके हैं। फाइटर ने उनको निर्माता बनने का हौसला दिया है करीब 200 करोड रुपए में बनी फिल्म फाइटर को सिद्धार्थ ने एक मसाला हिंदी फिल्म की तरह बनाया है ऋतिक और दीपिका के बीच की प्रेम कहानी को वह धीमी आच पर पकाते चलते हैं और पाकिस्तान को भारत का दुश्मन देश नहीं बनाते हैं वह पाकिस्तान की धरती से चलने वाले आतंकवाद को अपनी फिल्म का विलेन बनाते है। और इसी कसरत में हुआ फिल्म के विलेन का एक नया चेहरा ऋषभ साहनी लाते हैं वह कितना खूंखार है यह सिद्धार्थ दिखाते नहीं बस बताते हैं फिल्म में हिट होने वाले सारे तत्व है लेकिन फिल्म का फोकस जैसे की कहानी से हटा है फिल्म लड़खड़ा जाती है सिद्धार्थ आनंद के इस फिल्म में सबसे बड़ी जीत यही है कि वह ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण को साथ लाने में सफल रहे दोनों एक साथ और दो-दो फिल्में और भी कर चुके है। फौजी के दो असफरो के बीच फिल्मी इश्क जैसा कुछ ना दिखा शायद इसलिए फिल्म का सबसे लोकप्रिय गाना इश्क जैसा कुछ भी हटा दिया गया है लेकिन इस सबसे बावजूद फिल्म ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण के अभिनय की वजह से देखी जा सकती है करीब 3:45 घंटे की इस फिल्म में ज्यादातर एक्शन रितिक रोशन के पास है और अधिकतम इमोशन दीपिका पादुकोण के पास दीपिका पादुकोण इस फिल्म फाइटर का वह आधार है जिससे यह फिल्म मजबूती पाती है वह मोहब्बत में पहल करने वाली लड़की के किरदार में है वह पिता द्वारा ठुकरायु हुई संतान है वह देश के करोड़ों माता-पिता को यह संदेश भी देती दिखाती है। कि घर के ठुकराए बच्चे कभी सुकून से रह नहीं पाते का करण सिंह ग्रोवर, अक्षय ओबेरॉय, संजीता शेख तलत अजीज नए फिल्मी की सहायक भूमिका दमदार तरीके से निभाई है और इन सारे सहायक कलाकारों में सब पर भारी रहे अनिल कपूर। तकनीकी रूप से फिल्म समृद्ध है। हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने भी संवादों पर काफी मेहनत की है। सिनेमेटोग्राफी फिल्म की आत्मा है और संपादक खूबसूरती है बैकग्राउंड म्यूजिक भी प्रभावी है। दो गाने मिट्टी और दिल बनाने वाले गीतकार कुमार ने खूबसूरत लिखे हैं विशाल शेखर और सिद्धार्थ आनंद का साथ शुरू में चला आ रहा है और इस बार भी इनकी ट्यूनिंग ठीक ही रही है।

 

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Fighter Movie Review : आपको देखनी चाहिए या नहींं

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