Rani Rampal : हॉकी की जादूगरनि जानिए क्यों हैं इतनी मशहूर
कोच ने कहा कि वह जिंदगी भर हॉकी नहीं खेल सकतीं। उन्होंने समाज के ताने सहे, लेकिन मेहनत करना नहीं छोड़ा और खेल को ही अपना प्यार बनाया। तांगा चलाने वाले की बेटी रानी रामपाल ने हॉकी की बुलंदियों को छूकर अंतरराष्ट्रीय कॅरिअर से संन्यास ले लिया है, लेकिन उनकी कहानी संघर्षों के साथ प्रेरणाओं से भी भरी है।
वर्ष 2007 में भारत की जूनियर महिला हॉकी टीम के नेशनल कैंप में तेरह वर्ष की दुबली- पतली लड़की शामिल हुई, जिसका वजन करीब 36 किलो था। टीम के कोच ने उसकी हालत देखकर उसे घर भेज दिया और कहा, तुम जिंदगी में कभी भारत के लिए नहीं खेल पाओगी। कोच का यह ताना उस बेटी के लिए मानो वरदान बन गया। उस बेटी ने भारत के लिए ढाई सौ से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और दो सौ से अधिक गोल दागकर रानी रामपाल के नाम से मशहूर हुई। पूर्व भारतीय कप्तान रानी ने बृहस्पतिवार को अपने शानदार अंतरराष्ट्रीय हॉकी कॅरिअर से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। खेल रत्न, पद्मश्री, वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर जैसे अहम पुरस्कार जीतने वाली रानी का कॅरिअर संघर्षों से भरा रहा।
शुरुआत
रानी के पिता रार्मपाल हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में शाहाबाद सारकंडा में तांगा गाड़ी चलाकर जैसे-तैसे परिवार की गाड़ी खींचते थे। करीव अस्सी रुपये प्रतिदिन कमाने वाले पिता के लिए बेटी को खेल में भेजना कोई मामूली बात नहीं थी। राजी जब छह वर्ष की थीं, तो वह शाहाबाद में संचालित एक हॉकी अकादमी में पहुंची। कोच बलद्रेय सिंह ने पहले उन्हें लौटा दिया। दरअसल, यह द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच का अपना तरीका था. यह देखने का कि बच्चे के अंदर कितनी लगन है। लेकिन फिर भी चार दिसंबर, 1994 को पैदा हुई रानी ने अकादमी जाना नहीं छोड़ा। आखिरकार, कोच बलदेव ने उन्हें हॉकी का प्रशिक्षण देना शुरू किया। रानी ने पढ़ाई-लिखाई में स्नातक किया है।
अभ्यास में 100 गोल
वह मैदान पर अभ्यास के दौरान लगातार बगैर चूके 100- 100 करने शॉट गोलपोस्ट में मारती थीं। रानी का वह कोई मौका नहीं गंवाना कहती हैं कि गोल चाहतीं, इसलिए इसके लिए अभ्यास जरूरी है। भारत को अपनी कप्तानी में पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल (टोक्यो ओलंपिक) में पहुंचाने वाली रानी उस पल को नहीं भूलती हैं, जब टोक्यो ओलंपिक के क्वालिफायर में भारत अमेरिका से 4-0 से पीछे चल रहा था, लेकिन भारतीय टीम ने रानी के प्रयास से वापसी की और 5-5 से मैच ड्रॉ कराकर शूटआउट में जीत दर्ज की। 2016 के रियो डि जेनेरियो ओलंपिक में भारत ने 1980 के बाद क्वालिफाई किया था, इसमें भी रानी का अहम योगदान रहा। रानी की कप्तानी में भारत 2017 में पहली बार एशियन चैंपियनशिप जीता। रानी ने देश को एशिया कप जिताया और एशियन गेम्स में रजत पदक भी।
धनराज से तुलना
कोच बलदेव रानी की प्रतिभा को ताड़ गए थे। उन्होंने सीनियर खिलाड़ियों की पुरानी हॉकी स्टिक देकर रानी को अभ्यास कराया। यहां तक कि रानी का खर्च भी वह खुद उठाते थे। इसके बाद रानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती गईं और सिर्फ चौदह साल की उम्र में सीनियर महिला हॉकी टीम में अपनी जगह बना ली। भारत के सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ी रहे पूर्व कप्तान वीरेन रस्किन्हा रानी रामपाल की तुलना महान हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै, जेमी ड्वेयर और ट्यून डी नूइजेर से करते हैं। धनराज पिल्लै को ही अपना आदर्श मानने वाली रानी रामपाल इतनी चपलता के साथ हॉकी खेलती थीं कि अगर गेंद डी में हो और वह उसके आसपास भी न हों, तो भी विरोधी रक्षापंक्ति के खिलाड़ी भाप ही नहीं पाते थे कि रानी ने कब गेंद को गोलपोस्ट में पहुंचा दिया। तभी तो वह 2010 में महज 15 वर्ष की आयु में विश्वकप खेलने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं और इस टूर्नामेंट में सात गोल किए थे।
मैरीकॉम रोल मॉडल
भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम रानी की रोल मॉडलों में से एक हैं। थकावट दूर करने के लिए रानी बॉलीवुड के क्लासिक गाने और पंजाबी संगीत सुनना पसंद करती हैं। खाली समय में उन्हें शॉपिंग करना पसंद है। रानी को हॉकी के अलावा बैडमिंटन और टेनिस भी पसंद है। उनकी पसंदीदा बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल हैं।
उपलब्धियां
रानी रामपाल ने भारत के लिए कुल 254 मैच खेले हैं और 205 गोल किए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। रानी दुनिया की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता है। मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली महिला हॉकी खिलाड़ी भी हैं।
कोच से विवाद
टोक्यो में पदक जीतने से चूकीं रानी रामपाल के मन में टीस थी कि वह 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत को जरूर पदक दिलवाएंगी। टोक्यो ओलंपिक के बाद रानी चोटिल हो गई थीं और लंबे समय तक टीम का हिस्सा नहीं रहीं। इसके बाद वह वर्ष 2022 में टीम में शामिल हुईं और 2023 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। लेकिन इसके बाद रानी को टीम में शामिल नहीं किया गया, जबकि नेशनल गेम्स में भी उन्होंने अपनी फिटनेस साबित की थी। रानी ने खुलकर कोच शॉपमैन पर टीम में शामिल नहीं करने का आरोप लगाया। इतना हीं नहीं रानी के नहीं होने की वजह से टीम पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी।
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