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RBI Governor : 67 वर्षीय दास 67 साल में सबसे लंबे समय तक रहे आरबीआई गवर्नर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 67 वर्ष में सबसे लंबे समय तक गर्वनर बने रहने का रिकॉर्ड बनाया है। 67 वर्षीय दास का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है। माना जा रहा है कि इस बार उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिलेगा। ऐसे में सरकार विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद नए गवर्नर की तलाश शुरू कर सकती है। शक्तिकांत दास को 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई गवर्नर बनाया गया था। कोरोना में बेहतर काम करने के बाद उन्हें तीन साल का सेवा विस्तार, मिला। अगर उन्हें 18 महीने से ज्यादा का फिर से सेवा विस्तार मिलता है तो वह केंद्रीय बैंक के इतिहास में सबसे लंबे समय तक गवर्नर बने रहने का रिकॉर्ड बना सकते हैं। इससे पहले बेनेगल रामा राव जुलाई 1949 से जनवरी 1957 के बीच सात साल से ज्यादा समय तक गवर्नर रहे थे।

■ 10 दिसंबर को होगा कार्यकाल पूरा, सेवा विस्तार की उम्मीद कम

4-6 दिसंबर के बीच एमपीसी की बैठक

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक 4- 6. दिसंबर के बीच होगी। दास ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के दरों में कटौती पर पिछले दिनों कहा कि वे इसका दिसंबर में जवाब देंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि जाते-जाते दास एक बार दरों में कटौती कर सकते हैं। हालांकि, फैसला एमपीसी को करना होगा।

लंबी खिंच सकती है ब्याज दरों में कटौती

इस सप्ताह खुदरा महंगाई के आंकड़े आरबीआई के तय दायरे 6 फीसदी से बाहर निकल गए हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष समेत कुछ विश्लेषकों का मानना है कि दरों में कटौती अब दिसंबर के बजाय अप्रैल में हो सकती है।

कोरोना में बेहतर काम का मिल सकता है ईनाम

अर्थशास्त्रियों के बीच अटकलें हैं कि महामारी जैसे झटकों के दौरान अर्थव्यवस्था को संभालने के कारण दास सेवा विस्तार पाने के पक्षधर हैं। कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, दास ने अविश्वसनीय काम किया है। इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा। दास के कार्यकाल में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर रहा, जो दुनिया में चौथे स्थान पर है।

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रिकॉर्ड ऊंचाई के बाद 48 दिनों में 10% टूटा सेंसेक्स

इस साल रिकॉर्ड ऊंचाई के बाद घरेलू बाजारों में पैसिव होने के कारण इन पिछले 48 दिनों में 9.76 फीसदी की गिरावट आई है। विदेशी निवेशकों की निकासी, दूसरी तिमाही में कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन के कारण बाजार में यह गिरावट देखी गई’ है। भारी गिरावट के बाद भी हालांकि, सेंसेक्स इस साल 5,340 अंक या 7.39 फीसदी बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 27 सितंबर को 85,978 के रिकॉर्ड शिखर पर था। एनएसई निफ्टी भी 26,277 के उच्चतम स्तर पर था। लेकिन अक्तूबर में शुरू हुई यह गिरावट आज तक नहीं थमी है। सेंसेक्स शीर्ष स्तर से 8,398 अंक या 9.76 प्रतिशत टूट चुका है। निफ्टी भी रिकॉर्ड से 2,744 अंक या 10.44   प्रतिशत नीचे है। विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीय बाजार का मूल्यांकन काफी ऊंचा है। चीन में प्रोत्साहन पैकेज ने भारत से चीन की ओर विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के निवेश में एक महत्वपूर्ण बदलाव को प्रेरित किया। इससे एफआईआई ने पैसे निकालने शुरू कर दिए। विदेशी निवेशकों ने अक्तूबर में 94,000 करोड़ और नवंबर में अब तक 22,420 करोड़ निकाले हैं। यानी 48 दिनों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की निकासी हुई है।

एफएमसीजी शेयर ज्यादा टूटें सितंबर तिमाही में सबसे बड़ी निराशा एफएमसीजी शेयरों से हुई। ग्रामीण सुधार और अनुकूल मानसून के बाद भी इन कंपनियों की आय में गिरावट रही। इस क्षेत्र के लिए सितंबर सबसे खराब तिमाहियों में से एक रही है। खासकर शहरी खपत के मामले में।

1.16 लाख करोड़ रुपये । निकाले विदेशी निवेशकों ने डेढ़ माह में

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