SIP करवाने के ऐसे फायदे जिन्हे कोई नहीं जानता
अगर आप एक छोटी राशि से SIP निवेश की शुरुआत करते हैं और आप मंत्र 500 या हजार रुपए से इसकी शुरुआत की जा सकती है इससे वे लोग भी निवेश कर सकते हैं बड़ी रकम नहीं होती और पैसा कम होता है वे लोग भी शुरुआत कर सकते हैं।
Disiplin Investment
SIP निवेश को नियमित रूप से एक निश्चित राशि निवेश करने की आदत डालता है इससे वित्तीय अनुशासन बनता है जो दीर्घकालिक धन संचय में मदद करता है रुपए की औसत लागत SIP मार्केट के उतार चढ़ना को ध्यान में रखते हुए निवेश का औसत लागत कम कर सकता है।जब मार्केट नीचे होती है तो अधिक यूनिट्स खरीदी जा सकती है और जब मार्केट ऊपर होती है तो काम यूनिट्स खरीदी जाती है इससे लंबे समय में तक आप पैसा इन्वेस्ट करते हैं तो आपको उसमें अच्छा रिटर्न मिलता है।
Power off compounding : पावर ऑफ कंपाउंडिंग
SIP का सबसे बड़ा लाभ कंपाउंडिंग का प्रभाव है नियमित निवेश और समय के साथ मिलने वाला रिटर्न आपको अपने लक्ष्य तक काफी तेजी से पहुंच आता है और काफी अच्छी मदद करता है आपकी आपके उदाहरण के लिए यदि आप 10 वर्षों तक SIP मे नियमित निवेश करते हैं तो आपके निवेश पर अर्जित रिटर्न फिर से निवेशत होता है जिससे बड़ा धन बनाता है।
जोखिम प्रबंधन
आपको SIP निवेशकों को जोखिम प्रबंधन मे आपकि काफी सारी मदत करता है क्योकि इसमें छोटे-छोटे निवेश नियमित रूप से किए जाते है,और बाजार के उतार और चढ़ाव का प्रभाव काफी कम पड़ता है।और यह लम्बी अवधि में निवेश को सुरक्षित बनाता है।
आपको SIP में निवेश क्यों करना चाहिए
आपको SIP में निवेश अवश्य करना चाहिए क्यूंकि इसकी मदद से आप को बचत और नियमित निवेश की आदत पढ़ जाती है और आपको वित्तीय तौर पर सुरक्षा मिलती है। जब आप हर महीने थोड़े थोड़े करके निवेश करते हैँ तो कम्पाउन्डिंग के कारण आप एक अच्छी राशि जमा कर लेते हैं जिससे आप अपने किसी वित्तीय लक्ष्य जैसे घर खरीदना, आसानी से पूरा कर सकते हैं। साथ में आप रिटायरमेंट के बाद के लिए भी पैसे जोड़ पाते है। SIP में क्योंकि आप एक साथ ज़्यादा पैसे न डालकर छोटी छोटी किश्तों में निवेश कर पाते हैं तो इससे आपकी जेब पर बोझ नहीं पड़ता, इन सब कारणों कि वजह से आपको SIP में ज़रूर निवेश करना चाहिए।
एसआईपी के प्रकार समझकर आप अपने लिए सही एसआईपी आसानी से थोड़ी रिसर्च करके चुन सकते हैं। इसके 7 प्रकार होते हैं।
रेगुलर एसआईपी:
इसमें आप एक नियमित एसआईपी में निवेश राशि और फ्रिक्वेंसी सेट कर सकते हैं। इसमें आप फिक्स्ड राशि निवेश करते हैं और नियमित अवधि में स्वचालित रूप से वह चलती है।
फ्लेक्सिबल एसआईपी:
इसमें आप अपनी वित्तीय परिस्थिति और बाज़ार की स्थिति के अनुसार निवेश राशि बदल सकते हैं। इसको फ्लेक्स एसआईपी या फ्लेक्सी एसआईपी भी कहा जाता है।
टॉप – अप एसआईपी:
SIP का यह प्रकार आपको अधिक निवेश की अनुमति देता है। आपके करेंट प्लान के दौरान ही, जब आपके पास निवेश के लिए अधिक पैसा उपलब्ध हो, तो आप अपनी निवेश राशि बढ़ा सकते हैं।
स्टेप – अप एसआईपी: आप इसमें पूर्व निर्धारित अंतराल पर एसआईपी का उपयोग करके एसआईपी राशि बढ़ा सकते हैं।
ट्रिगर एसआईपी:
ट्रिगर एसआईपी में निवेश तभी होता है जब कोई विशेष घटना होती है। यह विशेष घटना एक सकारात्मक बाज़ार प्रवृत्ति या लक्षित एनएवी लेवल भी हो सकता है।
परपेचुअल एसआईपी:
जब भी आप sip करते हैं तो उसमें शुरुआत की डेट तो डाल देते हैं पर वो खत्म कब होगी आप में से ज़्यादातर लोग यह नहीं डालते। तो जिस भी एसआईपी में खत्म होने की डेट नहीं होती वो परपेचुअल एसआईपी बन जाती है।
मल्टी एसआईपी:
आप इसमें केवल एक एसआईपी से ही विभिन्न फंड हाउस योजनाओं में निवेश करने का लाभ उठा सकते है।
बीमा के साथ एसआईपी:
इसमें इंश्योरेंस और एसआईपी के फ़ायदे एक साथ आपको मिल सकते हैं। आपका पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है, फंड हाउस आपको उस पर जीवन बीमा पॉलिसी प्रदान करता है। यदि निवेश अवधि के दौरान निवेशक की अप्रत्याशित रूप से मृत्यु हो जाती है, तो यह बीमा पॉलिसी उनके नॉमिनी को मिल जाती है।