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SM Krishna: एसएम कृष्णा ने बंगलूरु को बनाया भारत की सिलिकॉन वैली

सियासत के सफर में हमेशा अगुआ रहे सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा यानी एसएम कृष्णा बंगलूरू को भारत की सिलिकॉन वैली बनाने के लिए भी जाना जाता है। वे केंद्र में विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे। अपने पांच दशक के राजनीतिक कॅरिअर में कृष्णा ने केंद्र और राज्य सरकार में अहम भूमिका निभाई।सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के जानकारों का कहना है कि, मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कृष्णा ने आईटी क्षेत्र को बढ़ावा दिया, यही वजह रही कि बंगलूरू अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया के ‘सिलिकॉन वैली’ के विकल्प के रूप में उभरा और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए। अपने मित्रों और करीबियों में एसएमके के नाम से मशहूर कृष्णा उच्च शैक्षणिक योग्यता के साथ सौम्य और मृदुभाषी थे।

जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा : कृष्णा ने मैसूर के महाराजा कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और यहीं के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली। अमेरिका के डलास में साउथर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी और बाद में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया, जहां वे ‘फुलब्राइट स्कॉलर थे। भारत में उन्होंने रेणुकाचार्य लॉ कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर के रूप में काम किया। पांच दशक कांग्रेस में रहने के बाद 2017 में भाजपा में आए वर्ष 2017 में वह भाव में शामिल हो गए, जिससे कांग्रेस के साथ का साल पुराना नाता खत्म हो गया। उन्होंने 2023 को राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की।

निर्दलीय जीत दर्ज कर शुरु की थी सियासी पारी

कर्नाटक के मांडत जिले के ही में एक 1932 की जर्म 1962 के विधानसभा चुनाव में गौड़ा के खिलाफ मद्‌दुर सीट से एक हामित करके अपने बाद में यह प्रन सोशलिस्ट पाटी से जुड़े और फिर कस में शामिल हो गए। वर्ष 1968 में एक सोशलिस्टस के रूप में वह पहली बार संसद पहुंचे और चौथी लोकसभा के सदस्य बने।

• कृष्णा पांचवीं लोकसभा के लिए भी चुने गए लेकिन 1972 में उन्होंने राज्य की राजनीति में वापसी करना पसंद किया। वह विधान परिषद के लिए चुने गए और वाणिज्य, उद्योग और संसदीय मामलों के मंत्री बनाए गए, यह पदभार उन्होंने 1972 से 1977 तक संभाला। वर्ष 1980 में वह लोकसभा में वापस आए और 1983- 84 तक उद्योग राज्य मंत्री तथा 1984-85 तक वित्त राज्य मंत्री रहे।

मनमोहन सरकार में रहे विदेश मंत्री

कानून में विशेषज्ञ कृष्णा 1989 में कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष बने और 1992 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बने। 1996 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए और अक्तूबर, 1999 तक इसके सदस्य रहे। वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष थे, जिसमें पार्टी ने जीत हासिल की। वह अक्तूबर 1999 से मई 2004 तक मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने दिसंबर, 2004 से मार्च, 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और मई 2009 से अक्तबूर, 2012 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।

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