Mon. Dec 23rd, 2024
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Bulldozer Kaarvayi : बुलडोजर कार्रवाई असांविधानिक, जज नहीं बन सकते अधिकारी : सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देश। आरोपी या दोषी होने पर किसी का घर नहीं गिरा सकते,कार्यपालिका मनमानी करती है तो सख्ती से निपटना होग

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने का फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिकारी जज नहीं बन सकते। कार्यपालिका केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति का घर नहीं गिरा सकती कि वह किसी अपराध में आरोपी या दोषी है। कानून के शासन में इस तरह की कार्रवाई कतई स्वीकार्य नहीं है। बुलडोजर कार्रवाई को अवैध और असांविधानिक करार देते हुए शीर्ष कोर्ट ने पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा, पूर्व नोटिस के बिना कोई भी निर्माण नहीं गिराया जाएगा। प्रभावित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त देना होगा और घर गिराने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी करानी होगी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि किसी अपराध के आरोपी या दोषी की रिहायशी या व्यावसायिक संपत्ति को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ध्वस्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि आश्रय का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का एक पहलू है। कार्यपालिका ऐसी मनमानी करती है, तो यह कानून के शासन के मूल सिद्धांत पर प्रहार होगा हमें उस स्थिति की याद दिलाता है, जब डंडे का जोर चलता था। कानून के शासन की नींव पर टिके हमारे संविधान में इस तरह की मनमानी कार्रवाई के लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे सांविधानिक लोकाचार और मूल्य सत्ता के इस तरह के दुरुपयोग की अनुमति नहीं देते हैं और इस तरह के नुकसान को कानून की अदालत बर्दाश्त नहीं कर सकती है।

घर हर किसी का ख्वाब… बेघर होते देखना भयावह

पीठ के लिए फैसला लिखते हुए जस्टिस गवई ने प्रसिद्ध हिंदी कवि प्रदीप के गीत अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है’ का जिक्र किया। कहा, घर सबका सपना होता है। यह वर्षों के संघर्ष व सम्मान का प्रतीक होता है।

किसी घर या कारोबारी संपत्ति को गिराने से पहले अफसरों को सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। इमारत को ध्वस्त करने, महिलाओं, बच्चों और बुजुगों को रातोंरात बेघर होते हुए  हुआ देखना बहुत भयावह होता है सिर्फ आरोपों के आधार पर कानूनी पलिया। का पालन किए बिना कार्यपालिका आरोपी की संपत्ति ध्वस्त करती है, तो यह कानून के शासन के मूल सिद्धांत पर प्रहार होगा। कार्यपालिका न्यायाधीश बनकर निर्णय नहीं ले सकती कि कोई व्यक्ति दोषी है, इसलिए उसकी आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति संपत्तियों को ध्वस्त कर उसे दंडित किया जाए।

ऐसे अवैध निर्माण पर आदेश लागू नहीं शीर्ष सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे के आदेश पारित किए हैं, उनमें भी निर्देश लागू नहीं होंगे।ऐसी कार्रवाई तब भी नहीं की जा सकती, जिसमें व्यक्ति को अपराध के लिए दोषी ठहराया हो। तब भी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। ऐसा न करने पर कार्यपालिका कानून को अपने हाथ में लेने और कानून के सिद्धांतों को दरकिनार करने की दोषी होगी। – सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने स्पष्ट किया, अगर किसी लाइन, नदी या जल निकाय पर अनधिकृत निर्माण हो, तो ये निर्देश लागू नहीं होंगे। अदालत ने जिन मामलों में ध्वस्तीकरण  के आदेश पारित  किए हैं उनमें भी निर्देश लागू नहीं होंगे।

शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत का उल्लंघन

पीठ ने कहा, कार्यपालिका व न्यायपालिका अलग- कार्यपालिका यह तय नहीं कर सकती कि कौन दोषी है। यदि कार्यपालिका दोषी घोषित करना शुरू कर दे, तो यह पूरी तरह से असांविधानिक होगा। यह शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत का भी उल्लंघन होगा। किसी व्यक्ति के दोषी होने का निर्धारण करने और उसे दंडित करने की जिम्मेदारी न्यायपालिका की है।

Dehradun Accident : देहरादून के ओएनजीसी चौक पर भीषण दुर्घटना, छह लोगों की मौत

देश के 51वें CJI संजीव खन्ना को कितनी सैलरी, क्या सुविधाएं मिलेंगी?

Border Gavaskar trophy : रोहित की गैरमौजूदगी में बुमराह संभालेंगे टीम की कमान, राहुल उतरेंगे ओपनिंग पर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *