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Diabetes Capital : दुनिया की मधुमेह राजधानी बनता भारत

मधुमेह रोगियों की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है, साल 2030 तक भारत का स्थान चीन के बाद दुनिया में दूसरा हो जाएगा।

डायबिटीज यानी मधुमेह ने देश में इतनी तेजी से लोगों को शिकार बनाना शुरू किया है कि भारत को दुनिया की मधुमेह राजधानी कहना गलत नहीं होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के 2023 में किए गए अध्ययन के अनुसार भारत में टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के कुल 10.1 करोड़ मरीज है। यह देश की वयस्क आबादी (18 वर्ष से उपर) का 11.4 फीसदी है। सिर्फ दो साल पहले 2021 तक यह संख्या सात करोड़ से कुछ अधिक थी देश के जाने-माने मधुमेह विशेषज्ञ और वयस्क आबाद का सिर्फ आठ फीसदी हिस्सा इस बीमारी से ग्रस्त था। दो साल में मरीजों की संख्या करीब 36 फीसदी चढ़ गई है। डॉ. अनूप मिश्रा यही नहीं, करीब 13.6 करोड़ लोग मधुमेह पूर्ण यानी प्रो डायबेटिक की स्थिति में हैं। दूसरे शब्दों में इतने लोग कभी भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। यह देश की वयस्क आबादी का 15 फीसदी से अधिक है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन्सानी शरीर को अंदर से खोखला कर देने वाली यह बीमारी कितनी तेजी से भारत में पैर पसार रही है।

डायबिटीज को व्यायाम और सही भोजन की मदद से प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि नियमित रूप से व्यायाम किया जाए, जरूरत भर की कैलोरी वाला सही भोजन किया जाए और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को कम उम्र से ही नियंत्रण में रखा जाए।

डायबिटीज के मरीजों में लक्षण

डायबिटीज के मरीजों में लक्षण अचानक और गंभीर होते हैं।

• बहुत अधिक प्यास मुंह सूखना लगातार पेशाब आना बिना कारण के बहुत वजन गिर जाना भूख ज्यादा लगना धुंधला दिखाई देना पेट में दर्द और उल्टी * चक्कर, भ्रम और अचेत होना (मौत के खतरे वाली स्थिति, जिसे कीटोएसिडोसिस कहा जाता है)

डायबिटीज के मरीजों में लक्षण

डायबिटीज के मरीजों में भी कीटोएसिडोसिस को छोड़कर ऊपर दिए गए सारे लक्षण होते हैं, मगर इसमें ये लक्षण इतना अचानक और नाटकीय रूप से सामने नहीं आते, जितना टाइप 1 के मरीजों में होते हैं।

सही तरीके से देखभाल न होने से प्री-डायबेटिक के आधे से अधिक मरीज पूर्ण रूप से डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं।

बचपन और किशोरावस्था में वजन बढ़ने से रोकने के लिए पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। जिनके परिवार में डायबिटीज, परिणीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज, जेस्टेशनल डायबिटीज और प्री-डायबिटीज की अवस्था का इतिहास रहा हो. उन्हें भोजन और असाम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

भोजन में शामिल की जाने वाली कुछ बीजें सही तेल, रेशेदार पदार्थ, नट्स, दालचीनी आदि ब्लड शुगर चटाने में मददगार होती हैं।

डायबिटीज का पता आमतौर पर भूखे पेट (फास्टिंग) ग्लुकोज के घाटतर की जांच के जरिये लगाबा आता है। जांच के लिए मरीज को 8 से 10 घंटे भूखा रहना पड़ता है। कई मार ग्लुकोज के स्तर की सही जानकारी के लिए एक बार से ज्यादा जांच करनी पड़ती है।

डायबेटिक नैफ्रोपैथी (किडनी खराब होने) के 20 से 30 फीसदी मरीजों को जिंदा रहने के लिए डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। भारत में किडनी फेल होने के पीछे डायबिटीज और उच्च रक्तचाप सबसे आम वजह हैं।

सभी तरह के डायबिटीज मरीजों में ये लक्षण

■ थकान और लगातार शिथिलता

■ कटने या घाव होने पर देर से ठीक होना

• मुंह, निजी अंगों पर यीस्ट का संक्रमण

• पैरों में सिहरन, सुन्नपन या सूजन

टाइप 2 डायबिटीज के 50 फीसदी के करीब मरीजों में कोई भी लक्षण सामने नहीं आ सकता है। अधिकांश मामलों में खून की नियमित जांच से डायबिटीज का पता चलता है।

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