इस साल 3 करोड़ लोगों को मिलेंगे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर
गांवों में दो करोड़ पक्के घर, मध्य वर्ग को भी आवास
तीन करोड़ पीएम आवास का लक्ष्य पूरा होने के करीब पंहुचा
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अगले पांच साल में दो करोड़ अतिरिक्त घर बनाए जाएंगे। वहीं, मध्य वर्ग को लुभाने के उद्देश्य से किराये ये के मकानों, झुग्गी- झोपड़ियों या या चॉल व अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों के घर के के सपने सपने को साकार करने की। भी घोषणा की गई है। सरकार इस योजना के तहत किराये के मकानों या झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले मध्य वर्ग के लोगों को मकान खरीदने या बनाने के लिए सक्षम बनाएगी। कोविड से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) पर अमल में उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है। सरकार योजना के तहत तीन करोड़ मकानों का लक्ष्य हासिल करने के करीब पहुंच गई है।
सबको आवास के लक्ष्य के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को क्रियान्वित कर रहा है। इसके तहत मार्च, 2024 तक बुनियादी सुविधाओं से युक्त 2.95 करोड़ पक्के घर बनाने का लक्ष्य है। वर्ष 2018-19 से 22-23 के बीच पांच साल में केंद्र इस पर 1,60,853 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।
योजना पर वित्तीय लागत का हिस्सा
पीएम आवास योजना शहरी के लिए 4.3 फीसदी बढ़ोतरी: सरकार ने शहरों में गरीबों व मध्य वर्ग के अपने घर का सपना साकार करने के लिए 26,170 करोड़ रुपये रखे हैं। यह पिछली बार से 4.3 फीसदी अधिक है। वहीं स्मार्ट सिटी मिशन के लिए सरकार ने इस बार 2400 करोड़ रुपये रखे हैं।
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाई जाएगी कमेटी अंतरिम बजट में रखा प्रस्ताव… बेलगाम बढ़ रही जनसंख्या पर अब सरकार की नजर
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद केंद्र सरकार ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से जुड़ा एक और मुद्दा तलाश लिया है। बृहस्पतिवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण’ ने जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकी बदलाव पर उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा है।
यह प्रस्ताव ऐसे समय में रखा गया है, जब ढाई महीने बाद आम चुनाव होने हैं और जनसंख्या के मामले में भारत चीन को पीछे छोड़ चुका है।
जनसंख्या नीति के संदर्भ में दूसरे कार्यकाल के पहले ही साल में पीएम मोदी ने लालकिले में जनसंख्या विस्फोट को आने वाली पीढ़ी के लिए चुनौती बताया था।
पीएम मोदी ने कहा था, इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कदम उठाने चाहिए। अगर भाजपा जीत की हैट्रिक लगाती है, तब राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर सियासी गहमागहमी रहेगी।
सरकारी सुविधाओं से वंचित करने का फैसला किया था। अब माना जा रहा है, सरकार ने दोनों मुद्दों पर ठोस पहल की तैयारी कर ली है।
वर्ष 2021 में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार ने नई जनसंख्या
मंत्रियों के अलग से इन्कार
करते हुए कहा था, सरकार वर्तमान परिवार नियोजन नीति के सहारे ही इसे नियंत्रित करना चाहती है।
हालांकि, एक साल बाद सरकार के दूसरे मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस बयान के उलट जल्द नई जनसंख्या नीति लाने की घोषणा की थी।
वित्त मंत्री ने भी कहा, कमेटी जनसंख्या वृद्धि और जनसांखिकीय बदलाव की चुनौतियों से निपटने के लिए सिफारिशें सरकार को देगी।
संघ प्रमुख जता चुके हैं चिंता
धर्म के आधार पर जनसंख्या असंतुलन भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए बड़ा मुददा रहा है। दोनों को आपति है कि देश में बहुसंख्यकों के मुकाबले अल्पसंख्यकों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 2022 में विजयादशमी के संबोधन में गंभीर चिंता जताते हुए नई जनसंख्या नीति की जरूरत बताई थी। उन्होंने इंस्ट तिमोर, दक्षिण सूडान व कोसोवो सरीखे देशों का उदाहरण भी दिया था।
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