पेट की सेहत न बिगाड़ दे तापमान
गरमी के मौसम में पेट से संबंधित बीमारियां बढ़ जाती हैं। इनसे बचने के लिए कुछ सामान्य से उपाय हैं, जिन्हें आपको केवल अपनी दिनचर्या में शामिल करना है।
तापमान बढ़ने से पेट संबंधी समस्याएं (गैस, दस्त, अपच और कब्ज आदि) बढ़ जाती हैं। इस मौसम में पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और शरीर भी जल्दी थक जाता है। अधिक समय तक धूप में रहने के कारण हीट स्ट्रोक भी हो सकता है, जिसका असर पेट और आंत की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। ज्यादा तापमान होने पर शरीर से पसीना अधिक निकलता है, जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन हो जाता है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति कमजोर हो जाती है। गरमाहट भरे इस वातावरण में भोजन भी जल्दी खराब हो जाता है, जिसे खाने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। कई बार पेट में गरमी बढ़ जाती है, जिस कारण छाती या सीने में जलन, सांस लेने में तकलीफ, खट्टी डकार, पेट फूलना और पेट में गैस जैसी समस्याएं होने लगती हैं। दूषित पानी पीने से डायरिया और हैजा जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ई जैसे वायरस के फैलने का भी जोखिम बढ़ जाता है, जो लिवर को खराब कर सकते हैं।
डॉ. पियूष रंजन वरिष्ठ चिकित्सक
गरमियों में कई लोग शुगर युक्त या सोडा वाली सॉफ्ट ड्रिंक्स अधिक पीते हैं। इन पेय पदार्थों का नियमित सेवन हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इनसे फाइब्रोसिस,सिरोसिस और क्रोनिक लिवर इन्फ्लेमेशन (लंबे समय तक सूजन होना) जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
अगर मीठे पेय पदाथों का अधिक सेवन करते हैं तो ब्लड ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ जाता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है, जो लिवर कैंसर और लिवर रोग का बड़ा कारण है। कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और सोडा ड्रिंक में मौजूद आर्टिफिशियल शुगर हानिकारक है। इस मौसम में पेट ठीक रखने के लिए कुछ सावधानियां बेहद जरूरी हैं- ■ पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए फाइबर युक्त आहार, जैसे कि साबुत अनाज, फल-सब्जियां, दालें और बीन्स का सेवन करें।
■ शुगर युक्त या सोड़ा वाली सॉफ्ट
ड्रिंक्स के सेवन से दूर रहें।
■ मदिरा के सेवन से बचें।
■ पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
■ भोजन का समय निश्चित रखें।
■ घर में बना ताजा भोजन खाएं, रात के बासी भोजन को न खाएं।
■ सुबह का नाश्ता न छोड़ें। खाली पेट गैस की समस्या हो सकती है।’
■ नियमित व्यायाम करें, क्योंकि इससे शरीर एक्टिव रहता है और भोजन को पचने में मदद मिलती है।
■ गरमी के मौसम में दही या छाछ का नियमित सेवन करें, क्योंकि इनके सेवन से पेट में ठंडक रहती है।
■ भारी, मसालेदार और तले-भुने खाद्य पदार्थों से दूरी बनाकर रखें।
■ पेट की बीमारियों को दूर रखने एवं पेट की गरमी को शांत करने के लिए नारियल पानी का सेवन करें।।
■ दूध ठंडा करके पीएं। दूध में मौजूद कैल्शियम पेट के एसिड को आसानी से खत्म कर देता है।
■ डिब्बाबंद जूस के बजाय ताजा फल खा सकते हैं।
■ हल्का भोजन करें, इससे पाचन तंत्र पर बोझ कम पड़ता है।
माइग्रेन के दर्द से राहत पाएं
अन्य शारीरिक विकारों की तरह माइग्रेन भी निर्जलीकरण के परिणामस्वरूप ही सकता है। इसलिए माइग्रेन अटैक को कम करने या रोकने का प्रभावी तरीका है ढेर सारा पानी पीना। इससे सिर दर्द दूर हो जाता है। जब भी सिर दर्द हो तो उसे नोट कर लें। यह पता लगाने की कोशिश करें कि क्या कोई ऐसा पैटर्न है, जो माइग्रेन का कारण बनता है। कई बार माइग्रेन का दर्द शरीर में सेरोटोनिन के स्तर के असंतुलन के कारण होता है। दवाएं इसको नियंत्रित करती हैं। माइग्रेन के लिए कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें, क्योंकि वे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। ज्यादातर महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र से ठीक पहले या उसके दौरान माइग्रेन के हमलों से पीड़ित होती हैं, जब एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। मासिक धर्म चक्र शुरू होने से कुछ दिन पहले सूजनरोधी दवा लेने से इसे कम किया जा सकता है। इसके अलावा तनावमुक्त जीवन-शैली, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम दिनचर्या और उचित नींद चक्र बनाए रखने से माइग्रेन के हमलों को रोकने में काफी मदद मिलती है। एक्यूप्रेशर में शरीर के विशिष्ट भागों पर दबाव डालना शामिल है। माना जाता है कि इस तरह से शरीर के विशिष्ट्र बिंदुओं को उत्तेजित करने से मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और दर्द कम होता है। इसके लिए विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
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