Mon. Dec 23rd, 2024
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

इसरो ने रचा इतिहास : अब दिन हो या रात सूर्य हमारी आँखों से नहीं होगा ओझल

126 दिन… 15 लाख किमी… लंग्रजियन बिंदु पर पहुंचा आदित्य – एल 1

चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद सूर्य के निकटतम  बिंदु पर पहुंचा आदित्य एल 1 , खगोल विज्ञान ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए भारत ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल 1 पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर मौजूद बिंदु लंग्रजियन -1 पर पहुंचा दिया है। इस बिंदु की परिक्रमा करते हमारे मिशन की नजरों से अब सूर्य ओझल नहीं हो सकेगा वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता को भारत के लिए एक और मील का पत्थर करार दिया है।

एल 1 बिंदु पर पहुंचकर हमारा आदित्य लगातार सूर्य के समक्ष मौजूद रहेगा ग्रहण हो या किसी पिंड का पृथ्वी व सूर्य के बीच आना सूर्य हमारी नजरों के सामने ही होगा। आदित्य से सूर्य पर हो रही गतिविधियों की लगातार जानकारियां मिलती रहेगी। इसमें 7 उपकरण लगे हैं चार उपकरण सूर्य के ऊपरी वातावरण की तीन प्रमुख परतों फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और से जुड़े अध्ययन करेंगे भीतरी परत फोटोस्पेयर के मुकाबले कोरोना का तापमान सैकड़ो गुना अधिक होने का रहस्य सुलझाने में भी मदद करेंगे । इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर चुंबकीय क्षेत्र व खगोलीय कणों संबंधित शोध व प्रयोग करेंगे ।

दुनिया का पांचवा देश बना भारत : 

अमेरिका, यूरोपीय संघ ,जापान और चीन के बाद सोर मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का पांचवा देश बन गया । चीन की तुलना में हमारा मिशन उच्च स्तरीय है 8 अक्टूबर 2022 को चीन ने एडवांस स्पेस वेस्ट सोलर ऑर्बजवेट भेजा। यह पृथ्वी की सतह से करीब 800 किमी ऊंचाई पर है आदित्य 15 लाख किमी पर अपना काम अंजाम देगा ।

क्या रहे अहम बिंदु : 

कुल बजट : 400 करोड़

कुल वजन : 1480.7 किलो

244 किलो उपकरणों का वजन

पृथ्वी से प्रक्षेपण : रॉकेट पीएसएलवी-c57 के जरिए

पृथ्वी की परिक्रमा :  4 बार 16 दिन में

प्रक्षेपण : 2 सितम्बर 2023, सुबह 11: 50 बजे

अनुमानित जीवनकाल 5 साल 2 महीने वर्ष 2028 तक

जानिए क्या कहा भारत के प्रमुख व्यक्तित्वों ने : 

एस सोमनाथ अध्यक्ष इसरो

आदित्य L1 सिर्फ भारत नहीं पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण मिशन है। हम सभी को इसका वैज्ञानिक महत्व समझना और उपयोग करना होगा । हेलो ऑर्बिट में सटीक स्थापना से पहले आदित्य ऊंचे परिक्रमा पद की ओर बढ़ रहा था। इसे सही जगह लाने के लिए पथ में मामूली सुधार किया गया इस दौरान 31 मीटर प्रति सेकंड का वेग दिया ताकि सही मार्ग पर बना रहे ।

हेलो ऑर्बिट अंडाकार है इसमें आदित्य को ठीक जगह पहुंचाना अनिवार्य था ऐसा ना कर पाते तो वह पथ से भटक सकता था । हम उसे भटकने नहीं दे सकते थे। बेशक हमने आपात हालात के लिए व्यवस्थाएं बना रखी थी। पर गणितीय तोर पर आदित्य के भटकने की आशंका फिर भी बनी हुई थी। हमने आखिरी चरण बेहद सही मापन और गणनाओं के बुते सफलता से पूरा किया ।

नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि भारत ने एक और मील का पत्थर कायम किया है  हमारी पहली सोर वेधशाला आदित्य एल 1 अपनी मंजिल तक पहुंच गई है। अंतरिक्ष के कुछ सबसे जटिल और दहन मिशन में से एक का साकार  होना हमारे वैज्ञानिको के संपूर्ण  प्रयास है इस असाधारण उपलब्धि के लिए मैं पूरे देश के साथ उन्हें बधाई देता हूं हम मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष के नए क्षेत्रों में काम करते रहेंगे ।

 

यह भी जाने : 

इस साल दुनियाभर में होंगी दिलचस्प खगोलिय घंटनाये : जनवरी में उल्का बौछारे

आकाशगंगा में मिला 13 अरब साल पुराना ब्लैक होल : आने वाला है पृथवी पर बड़ा संकट

इसरो ने रचा इतिहास : अब दिन हो या रात सूर्य हमारी आँखों से नहीं होगा ओझल

हमें उम्मीद है कि खबर आपको पसंद आई होगी। खबर अगर पसंद आई हो तो इसे दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और ऐसे ही अपडेटेड खबरें सबसे पहले आप तक पहुंचे उसके लिए नोटिफिकेशन ऑन करें ।

 

 

 

2 thoughts on “इसरो ने रचा इतिहास : अब दिन हो या रात सूर्य हमारी आँखों से नहीं होगा ओझल”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *