Sury Mandir Almora : देवभूमि उत्तराखंड में सूर्य देव का एकमात्र मंदिर, जहा आते है देश विदेश से सैलानी , जानिए क्यों है इतनी मान्यता
सूर्य मन्दिर कटारमल, जनपद अल्मोड़ा
बडादित्य’ के नाम से प्रसिद्ध यह पूर्वाभिमुख सूय मंन्दिर कुमाँऊ क्षेत्र के विशालतम एवं ऊँचे मन्दिरों में से एक है जिसका निर्माण संभवतः मध्यकालीन कत्यूरी शासक कटारमल द्वारा कराया गया था, जो उस समय मध्य हिमालय क्षेत्र में शासन कर रहे थे। यहां विभिन्न सुमूहों में लगभग 45 छोटे-बड़े मन्दिरों का निर्मा ब्येह्णै अलग-अलग काल में किया गया है। मुख्य मन्दिर की संरचना त्रिस्थ है जो वर्गाकार गर्भग्रह के साथ नागर शैली के वक्ररेखीय शिखर सहित निर्मित है, जबकि अन्तराल एवं दोनों मण्डप बाद में निर्मित किये गये हैं। वास्तु लक्षणो एवं स्तम्भों पर उत्कीर्ण अभिलेखों के आधार पर मन्दिर की तिथि तेहरवीं सदी ईसवी रखी जा सकती है।
गर्भग्रह का प्रवेश द्वार उत्कीर्णत काष्ठ द्वारा निर्मित था जा वर्तमान में राष्ट्रीय सग्रहालय, नई दिल्ली की दीर्घा में प्रदर्शित है।
यह मन्दिर समूह भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, देहरादून मण्डल का राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है।* * अल्मोड़ा शहर से तकरीबन 18 किलोमीटर की दूरी पर है प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर
* इस मंदिर को करीब 9वीं सदी का बताया जाता है, जो कत्यूरी शासक कटारमल देव के द्वारा बनाया गया था
* * वहीं, पुरातत्व विभाग के अधिकारी डॉ चंद्र सिंह चौहान ने बताया कि यह सूर्य देव का मंदिर भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है
* * यहां पर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं मंदिर दुनिया का दूसरा सूर्य मंदिर है दुनिया में बस दो ही सूर्य मंदिर है।जो एक हमारे उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में है।
* इस मंदिर का निर्माण एक रात में कराया गया था।यह मंदिर बड़ाद्वितीय सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है ऐसा कहा जाता है कि यहां सभी देवी देवता भगवान सूर्य की आराधना करते थे।
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